Tuesday 8 November 2011

Re-narration

कला, संस्कृति और लोकतंत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (IIACD) मई 2008 में डिजाइन, मानव विज्ञान, नए माध्यम, कला, तकनीक और कला के इतिहास में विशेषज्ञ लोगों द्वारा शुरू किया गया था. समूह आम दृष्टि की आप-ले करता है, और सांस्कृतिक लोकतंत्र के लोगों के अधिकार और हक का समर्थन के लिए कार्य करता है.


कई विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में, सांस्कृतिक विकास के लिए ऊपर से नीचे नीतियों की जांच की जरूरत है. सामाजिक समावेश का शब्दाडम्बर से (कौशल कारीगरों ) को कोई अधिकार नहि मिलता बल्कि एसे कार्यसूचि की आवश्यकता है जो सक्रिय रुप से कारीगरों को लोकतांत्रिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए और संचार के लिए उत्साहित करे.


भारत के संदर्भ में हम देख राज्य, अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसियों और एनजीओ संस्कृति, कला, और रचनात्मक उद्योगों में शामिल लोगों की आजीविका की प्रगति पर काम कर रहे हैं.इसि कारण डिजाइनरो और एनजीओ मध्यस्थी बनकर उद्यमी कार्यक्रम रच रहे है. रचनात्मक उद्योगों में शामिल स्वदेशी कारीगरों और उनके समुदायों के अधिकार और हक को काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है.

अन्य संबंधित परिणाम यह है कि भारत के पुरालेखीय डिजिटल और कला का अव्यवस्थित लिखित प्रमाण (रिकॉर्ड ) और सांस्कृतिक विरासत पर भारी जोर दिया गया है. कला के प्रलेखन और पारंपरिक ज्ञान के अन्य क्षेत्र के साथ ऐतिहासिक रिकॉर्ड रख्ने से किसको लाभ होगा, रिकॉर्ड की गुणवत्ता और शुद्धता के रूप में महत्वपूर्ण जांच, पारंपरिक ज्ञान के प्रदर्शन के सामाजिक परिणामों जो परंपरागत साधनों द्वारा संरक्षित किया गया है - आदि पर अधिक महत्वपूर्ण बहस की जरूरत है,

सारांश में, IIACD बौद्धिक गतिविधियों और संप्रेषणीय कार्रवाई संवाद (अंतर और अंतर सांस्कृतिक) प्रोग्राम (जो संस्कृति, कला, और रचनात्मक उद्योगों में शामिल लोगों के सशक्तिकरण और अधिकार में योगदान देगा), के माध्यम से वास्तविक सांस्कृतिक लोकतंत्र (थिंक टैंक, शैक्षिक कार्यक्रम, सफेद कागज, कार्यशालाओं) को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित होगा.

Re-narration by Anonymous in Hindi targeting Gujarat for this web page

No comments:

Post a Comment