Friday 2 December 2011

Re-narration

पशुपालक की पारिस्थितिकी प्रणालियों ने राष्ट्रीय सीमाओं पार कर दी है और यह गतिविधि इन प्रणालियों के भीतर आर्थिक एवं पारिस्थितिक रुप से (सही)तर्कसंगत है.

पशुओं का निर्यात व्यापार अच्छी तरह से स्थापित और मजबूत है और उसका विकास हो रहा है एवं नए बाजार तकों को थामने को तैयार है.

Re-narration by Anonymous in Hindi targeting Haryana for this web page

No comments:

Post a Comment