Tuesday 10 January 2012

Re-narration

नारी, भगवान की सृजन है जो जीवन बहुत सुंदर बनाती है, अक्सर अंत में उसे मानसिक आघात प्राप्त होता है. जरूरी नहीं अपराधियों केवल ग्रामीण फूस की छतों के आसपास रहते हैं. वे आकाश से छुनेवाली ईमारतों और पॉश सुइट में भी पाए जाते हैं. 2009 में बलात्कार के मामलों 2497 तक पहुँच चुके हैं, घरेलू हिंसा 10,000 का आंकड़ा पार कर गया है. अभी भी महिलाओं में एक कम व्यक्ति के रूप में माना जाता हैं. लेकिन निश्चित रूप से सरकार अपने सभी बेहतरीन प्रयत्न से स्थिति सुधार कर रही है. 2.8 लाख के आसपास सामाजिक कार्यकर्ता सरकार द्वारा नियोजित किये गये है जो देश भर के गांवों और घरों में पहुंच महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दे रहे है.
बहुत महिलाएं यह भी नही जानती हैं कि आदमी की दुनिया में उसे भी अधिकार है. जबकि कुछ उनके वयस्कता में उससे दास के रूप में व्यवहार किया जाता हैं, ज्यादातर बचपन का भी आनंद नहीं उठा पाते. इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई और जो 4, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली 002 110, में स्थित है, फ़ोन: 11 23,237,166. यह महिलाओं की रक्षा के लिए एक सर्वोच्च संगठन है. इसके अलावा महिलाओं की रक्षा और उत्थान के लिए देश के प्रत्येक राज्य में स्थापित आयोगों हैं.
ये संगठनों खातरी करते है कि महिलाओं के लिए और पुरुषों के लिए अधिकारों की समानता दी जानी चाहिए. भारत में संविधान के अनुच्छेद 14 का कहना है कि कोई व्यक्ति कानून के समक्ष समानता से वंचित नही हो जाएगा. अनुच्छेद 42 में कहा गया है कि महिलाओं को न्याय मानव काम का वातावरण और मातृत्व राहत प्रदान की जानी चाहिए. सती कानूनों को समाप्त कर दिया गया है, बाल विवाह को कानूनी तौर पर सजा दी जा सकती है. लड़की जब वह शादी कर रही है तब वह 18 वर्ष की होनी चाहिए है और उसकी सहमति ज़रुरी है, बल का उपयोग करना दंडनीय है. उसे चिढ़ाना भी एक अपराध माना जाता है. यह रिपोर्ट किया जा सकता है और अपराधियों को तुरंत सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा.

Re-narration by Amrapali in Hindi targeting Chandigarh for this web page

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