Tuesday 10 January 2012

Re-narration

ये संगठनों खातरी करते है कि महिलाओं के लिए और पुरुषों के लिए अधिकारों की समानता दी जानी चाहिए. भारत में संविधान के अनुच्छेद 14 का कहना है कि कोई व्यक्ति कानून के समक्ष समानता से वंचित नही हो जाएगा. अनुच्छेद 42 में कहा गया है कि महिलाओं को न्याय मानव काम का वातावरण और मातृत्व राहत प्रदान की जानी चाहिए. सती कानूनों को समाप्त कर दिया गया है, बाल विवाह को कानूनी तौर पर सजा दी जा सकती है. लड़की जब वह शादी कर रही है तब वह 18 वर्ष की होनी चाहिए है और उसकी सहमति ज़रुरी है, बल का उपयोग करना दंडनीय है. उसे चिढ़ाना भी एक अपराध माना जाता है. यह रिपोर्ट किया जा सकता है और अपराधियों को तुरंत सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा.

महिला अधिकार आंदोलन:

भारत में कई प्रतिबद्ध संगठनों और गैर - सरकारी संगठनों (एनजीओ)के अलावा सरकार नियुक्त एजेंसियों, महिलाओं के अधिकारों की उन्नति के लिए काम कर रहे हैं. भारत सरकार ने महिलाओं के लिए एक राष्ट्रीय आयोग (National Commission) की रचना की है. जो भारतीय महिलाओं के कल्याण के लिए समर्पित है.

Re-narration by Amrapali in Hindi targeting Chandigarh for this web page

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