Thursday 6 December 2012

Raika Bio-cultural Protocol

Our origins:Aएक आध्यात्मिक स्तर पर, हमें विश्वास है कि हम भगवान शिव के द्वारा बनाया गया था. ऊंट उनकी पत्नी पार्वती द्वारा बनाया गया था, और यह भगवान शिव द्वारा जीवन में लाया गया था. लेकिन ऊंट शोख़ी के कारण उपद्रव हो गया, तो ऊंट का ख्याल रखने के लिए भगवान शिव ने उसकी त्वचा और पसीने से राइका को बनाया . हमारे आध्यात्मिक ब्रह्मांड हमारे पशुपालन से जुड़ा हुआ है, और हमारे वंशीयता जाल, हमारी नस्लों और जीवन के रास्ते के साथ अतूट रीत से मिलि हुइ है। हम हमेशा अपने आप को एक विशिष्ट स्वदेशी समुदाय मानते है, जो एक तथ्य है और जो दर्ज की गई है, उदाहरण के लिए, १८९१में मारवाड़ जोधपुर के महाराजा की ओर से किए गए जनगणना.

हमारे पारंपरिक आजीविका

हमारे पारंपरिक आजीविका : हम स्वदेशी बनजारे चरवाहे जो पशुधन नस्लों की एक किस्म विकसित किया है वह हमारे पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है और साधारणगत हमारे ऊंट, भेड़, बकरी और पशुओं सांप्रदायिक भूमि पर और जंगलों में चरते हैं. इसका मतलब यह है कि हमारी आजीविका और हमारे विशेष नस्लों के अस्तित्व जंगलों, (गांव सांप्रदायिक चराई भूमि) gauchar और ओरान (पवित्र के पेड़ों मंदिरों के लिए संलग्न) के उपयोग पर आधारित हैं. बदले में, हमारे पशुओं जिसमें वे चरते है वहां स्थानीय पारितंत्रोंजैव विविधता के संरक्षण के लिए मदद करते हैं और हम क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को सहायता प्रदान करते है। इस तरह, हम स्वदेशी पशुचारक संस्कृति को जंगलों का उपयोग और जंगलों को हम से लाभ दोनों तरफ से एक गुणी चक्र, के रूप में देखते है। 

Re-narration by Amrapali in Hindi targeting Rajasthan for this web page

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