इस अनुच्छेद में, दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में माध्यमिक विद्यालय में पढ रही किशोर लड़कियों के यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के अनुभव का एक छोटा सा खोजपूर्ण अध्ययन का अहेवाल है. दक्षिण एशिया में, यौन मामलों की सार्वजनिक चर्चा, विशेष रूप से बच्चों से संबंधित, मोटे तौर पर वर्जित है, ये अध्ययन स्कूली शिक्षा का एक छुपे पहलू पे प्रकाश डालता है, जो भारत में लड़कियों की शिक्षा वृद्धि लिए एक बाधा प्रस्तुत करता है. दो शाले में कार्यशाला (वर्कशॉप) दौरान इण्टरव्यू से पता चला है कि लड़कियों दोनों, स्कूल के मैदान (ज्यादातर पुरुष विद्यार्थियों द्वारा) के भीतर और विशेष रूप से पब्लिक बस में यात्रा दौरान (बड़े लड़के और वयस्क पुरुषों के द्वारा) यौन उत्पीड़न की चपेट में थे. यौन उत्पीड़न उनके लिए अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखने की इच्छा में बाधा डालता है. दूसरों के लिए, अगर माता - पिता को किसी भी घटना के बारे में सुनाया तो शिक्षा बन्द हो जाने का डर की वृद्धि हुई है. पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं और लड़कियों के लिए, शोषण और दुर्व्यवहार का पता में अनिच्छा को देखते हुए, लेखकों का सुझाव है कि इस मुद्दे में और अधिक अनुसंधान की तत्काल जरूरत है.
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