Tuesday 20 December 2011

Re-narration

पानी शुद्धिकण :

पानी जीवनकी एक आवश्श्यक जरुरियात है| अशुध्ध पानी जीवन्के लिये हानिकरक या जीवलेण साबीत हो सकता है| इसलिये पानीको हंमेशा शुध्ध करके पिना जरुरी है|
पानीको शुद्ध् करने के दो तबक्के है |

निस्पंदन - अघुलित पदार्थों को हटाने, और

कीटाणुशोधन.

पानी शुद्धिकण के लिए सूती कपडा का उपयोग :

फिल्टर कपड़ा बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हैजा(कोलेरा)) के जवाब में विकसित किया गया था| ये प्रयोग से ९९% रोगज़नक़ कीटाणु नाश पामते है| जब पानी को शुध्ध करने का कोई और तरिका न हो तब ये प्रयोग खूब लाभकारक है|

विधि:

एक पुराना, साफ़, पतला, सफ़ेद सूती कपडा लेके तीन बार आधा गुना करके आठ परतों बनाकर उसे नल के आसपास, या पानीके बर्तन के मुंह पर तंग से बांधकर पानी इकट्ठा कीजिये| इसके बाद कपडेकॊ पुन: उपयोग में लेनेके लिये साबुन् से धोकर धूप मे सुखा दिजिये|

यह प्रकिया से छाने हुए पानी को एक साफ बौतल में भरके छ: घंटा धूप में रखकर क्ष-किरणों द्वारा अथवा रसयण के उपयोग से जैसे (१ गेलनन पानीमें आयोडीन के आठ बूंद मिलाकर) जंतुरहित किया जाता है|

Re-narration by Amrapali in Hindi targeting Gujarat for this web page

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