महात्मा गांधी के जीवन के, ग्यारह मंत्रों
गांधीजी के बारे में जितना जानो इतना कम है। महात्मा गांधी इतने महान होने के बावजूद कैसे इतने संयमी थे, कैसे, कैसे अपना जीवन सादगी से गुजारा ऐसे, तो आपके मन में कई सवाल होते होगे, गांधी के आदर्श जीवन का रहस्य, वह ११ मंत्र में छूपा हुआ है। जो मानव यह मंत्र जीवन में अपना ले, वह एक सफल आदमी बन सकता है।
महात्मा गांधी के जीवन के ग्यारह मंत्रों
सत्य:
हमेशा सच वाणी - व्यवहार रखना
अहिंसा :
चोरी न करना :
कोइ गलत काम न करना
अपरिग्रह : बीना काम की चीज़ न रखना
ब्रह्मचर्य :
मर्यादा - सिद्धांतों का पालन करकर मानसिक ब्रह्मचर्य का पालन करना
आत्मनिर्भरता :
अपने सभी काम खुद करना, श्रमनिष्ठ बनना
किसी को भी जरा सा दुःख न पहुँचाना
अस्परृश्यता :
जाति - आदमी आदमी के बीच के भेद को मानना नही
अभय :
बहादुर रहना, साहसी बनना
स्वदेशी चीज़ो का इस्तेमाल करना
स्वार्थ त्याग :
किसी भी कार्य या सेवा के अपने स्वयं के व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए नहीं करना. स्वार्थ छोड़कर जीना
सर्व धर्म समानता :
विश्व के सभी धर्मों को समान मानकर, सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए
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